- एके 47, एसएलआर और इंसास, मशीन गन जैसे हथियार हैं इनके पास
–अर्जुन झा-
जगदलपुर बस्तर संभाग में सक्रिय नक्सलियों के पास दो देशों के बीच युद्ध में काम आने वाले हथियार उपलब्ध हैं। लाईट मशीन गन, एसएलआर, ग्रेनेड लांचर, एके -47, इंसास और थ्री नॉट थ्री रायफल जैसे हथियारों से लैस होने के बावजूद पुलिस और सुरक्षा बलों के सामने टिक नहीं पा रहे हैं नक्सली। ऐसे ही हथियार पहले कश्मीर में सक्रिय आतंकवादियों के पास हुआ करते थे।
बस्तर संभाग में नक्सली पहले भरमार बंदूकों, सामान्य विस्फोटकों के दम पर पुलिस को निशाना बनाया करते थे, मगर जमाने में आए बदलाव के साथ उन्होंने भी अपनी लड़ाई का तौर तरीका बदल दिया है। लड़ाई का तौर तरीका ही नहीं बदला है, बल्कि पुराने जमाने के हथियारों की जगह नक्सली अब अत्याधुनिक मारक हथियार भी रखने लगे हैं। इस साल जनवरी से लेकर अप्रैल तक विभिन्न मुठभेड़ों में पुलिस और सुरक्षा बलों के हाथों लगभग सौ नक्सली मारे जा चुके हैं। इस अवधि में नक्सली ठिकानों और मुठभेड़ वाली जगहों से जो अत्याधुनिक हथियार बरामद किए गए हैं, वे साबित करते हैं कि नक्सली अपनी मारक क्षमता लगातार बढ़ाते चले जा रहे हैं। बस्तर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी. ने इस बात की तस्दीक की है कि वर्ष 2024 में अब तक प्रतिबंधित एवं गैर कानूनी सीपीआई माओवादी संगठन के विरूद्ध संचालित अभियानों के दौरान बस्तर रेंज में जहां 91 से अधिक माओवादियों के शव बरामद हुए हैं, वहीं अत्याधुनिक हथियार दो लाईट मशीन गन (एलएमजी), चार एके 47, एक एसएलआर, तीन इंसास, चार थ्री नॉट थ्री राइफल, चार 9 एमएम पिस्टल सहित भारी मात्रा में अन्य आर्म्स एम्युनेशन, विस्फोटक सामग्री और नक्सल सामग्री बरामद की गई है। इसके अलावा बस्तर संभाग के बीजापुर जिले में नक्सलियों से ग्रेनेड बम लांचर (जीबीएल) भी बड़ी मात्रा में बरामद हुए हैं। एलएमजी, जीबीएल, एके- 47, इंसास, एसएलआर ऐसे घातक हथियार हैं, जिनकी मारक क्षमता का कोई मुकाबला नहीं है। ये अपने टारगेट पर काफी दूर से सटीक निशाना लगाने में भी सक्षम होते हैं। इनकी जद में आने वाले किसी भी शख्स के बचने की संभावना जरा भी नहीं रहती। ऐसा नहीं है कि सिर्फ नक्सली ही अत्याधुनिक हथियारों से लैस हुए हैं, पुलिस और सुरक्षा बलों के पास भी असलहों की भरमार है। अत्याधुनिक हथियारों के मामले में पुलिस और सुरक्षा बल लगातार अपग्रेड होते जा रहे हैं। उनके पास आवश्यक संसाधनों की कमी नहीं होने दी जा रही है। यही वजह है कि अब जितनी भी मुठभेड़ें हो रही हैं, उनमें नक्सलियों को जबरदस्त नुकसान पहुंच रहा है। उनके लड़ाके लगातार मारे जा रहे हैं। इसकी बनिस्बत सुरक्षा बलों और पुलिस को बहुत ही कम क्षति पहुंच रही है। पुलिस और सुरक्षा बलों के जवान बिना जनहानि के नक्सलियों को तबाह करते चले जा रहे हैं।
कहां से आ रहे घातक हथियार
जिस तरह से नक्सलियों के ठिकानों और मुठभेड़ वाली जगहों से अति घातक और मॉडर्न वेपन्स मिल रहे हैं, वह चिंता का सबब भी हैं। इस बीच यह सवाल भी उठने लगा है कि नक्सलियों को आधुनिक दौर के ऐसे मारक हथियारों की आपूर्ति आखिर कहां से हो रही है? कौन हैं वो हथियार सप्लार जो नक्सलियों तक ये वेपन्स आसानी से पहुंचा रहे हैं। जबकि बस्तर संभाग के चप्पे चप्पे में पुलिस, बीएसएफ, सीआरपीएफ, कोबरा बटालियन और अन्य सुरक्षा बलों के जवान तैनात हैं। सूत्र बताते हैं कि पड़ोसी राज्य तेलंगाना, आंध्रप्रदेश, ओड़िशा और महाराष्ट्र के सीमावर्ती इलाकों के रास्ते बस्तर के नक्सली संगठनों तक हथियार पहुंच रहे हैं। इस बीच एक और सवाल उठता है कि पुलिस और अन्य सुरक्षा बलों के खुफिया तंत्र को इसकी भनक आखिर कैसे नहीं लग पाती। अगर पुलिस और अन्य सुरक्षा बल नक्सलियों के सप्लाई चेन को तोड़ देते हैं तो छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद को खत्म करने में ज्यादा समय नहीं लगेगा।