किसे जिता रही हैं भानुप्रतापपुर में महिलाएं

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  • कोर्राम ने दिखाया दम, भाजपा कितनी होगी कम
  • सावित्री को सत्ताधारी होने का लाभ मिलने के आसार

(अर्जुन झा)

जगदलपुर भानुप्रतापपुर विधानसभा सीट के उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी को जिताने में क्या महिला मतदाताओं की अहम भूमिका रहने वाली है?मतदान खत्म होने के बाद सामने आए रुझान के मुताबिक सावित्री मंडावी को महिला होने के साथ ही सत्तारूढ़ दल की प्रत्याशी होने का भी लाभ मिलता नजर आ रहा है। क्या स्वतंत्र प्रत्याशी पूर्व पुलिस अधिकारी अकबर राम कोर्राम फर्स्ट रनर अप होंगे? क्या भाजपा उम्मीदवार ब्रम्हानंद नेताम तीसरे क्रम पर होंगे? भरोसा तो नहीं होगा लेकिन राजनीति में कई कारणों से उलटफेर होते रहे हैं और अब यहां भी ऐसे आसार बरकरार हैं। भानुप्रतापपुर उपचुनाव में 71.74 प्रतिशत मतदान हुआ। क्षेत्र में 1 लाख 95 हजार 822 मतदाता हैं। इनमें 95 हजार 266 पुरुष व 1 लाख 555 महिला मतदाता और एक तृतीय लिंग मतदाता शामिल हैं। 69 हजार 782 पुरुष एवं 70 हजार 701 महिला मतदाताओं और एक तृतीय लिंग मतदाता समेत 1 लाख 40 हजार 484 मतदाताओं ने मताधिकार का उपयोग किया। वोट डालने वाले पुरुष मतदाताओं का प्रतिशत 73.25 एवं महिलाओं का 70.31 प्रतिशत रहा। क्षेत्र में 256 मतदान केंद्र बनाए गए थे। क्षेत्र में पुरुषों के मुकाबले महिला मतदाताओं की संख्या ज्यादा है। कांग्रेस की सावित्री मंडावी के महिला और सत्तारूढ़ दल कांग्रेस की प्रत्याशी होने के कारण महिलाओं का झुकाव उनकी तरफ नजर आया। सावित्री के प्रत्याशी घोषित होने के बाद से ही महिलाएं उनके पक्ष में सामने आने लगी थीं और मतदान की तिथि नजदीक आने के साथ ही महिलाओं का उनके प्रति यह झुकाव और भी बढ़ता चला गया। वोट देकर बूथों से निकल रही ज्यादातर महिलाओं ने साफ संकेत दे दिया कि उनका वोट किसके पक्ष में गया है। संवेदना का भी सहारा विधायक मनोज मंडावी के निधन से उपजी संवेदना भी उनकी धर्मपत्नी सावित्री मंडावी के साथ अंत तक बनी रही। माना जा रहा है कि हजारों लोगों ने उनके पक्ष में सहानुभूति वोट दिया। सावित्री मंडावी शासकीय शिक्षिका रह चुकी हैं, लिहाजा पढ़े लिखे मतदाताओं का भी साथ उन्हें मिला। इस नजरिए से देखा जाए तो सावित्री मंडावी की जीत के पीछे एक नहीं, बल्कि कई कारक नजर आ रहे हैं। फिलहाल यह सिर्फ मतदाताओं के रुझान पर आधारित अनुमान है। वास्तविक स्थिति 8 दिसंबर को दोपहर तक सामने आएगी। कोर्राम का भी दिखा जलवा*निर्दलीय प्रत्याशी अकबर राम कोर्राम का भी जलवा इस चुनाव में देखने मिला। छत्तीसगढ़ पुलिस में उप महानिरीक्षक रह चुके श्री कोर्राम ने यह चुनाव पूरे दमखम के साथ लड़ा। सर्व आदिवासी समाज ने उन्हें मैदान पर उतारा है, लेकिन समाज का एक धड़ा इस निर्णय के खिलाफ था। इसके बावजूद श्री कोर्राम ने उप चुनाव में अच्छी उपस्थिति दर्ज कराई है। उनकी रौबदार छवि असरकारी रही। गोंड़ समुदाय के मतदाताओं के एक बड़े तबके का उनके प्रति झुकाव भी अंत तक बना रहा। उच्च शिक्षित मतदाताओं का भी दिल जीतने में श्री कोर्राम काफी हद तक सफल रहे। इन परिस्थितियों को देखते हुए कयास लगाया जा रहा है कि क्या श्री कोर्राम दूसरे पायदान पर रहेंगे? कितना भारी पड़ा रेप का आरोप*कथित सामूहिक दुराचार के मामले में भाजपा प्रत्याशी ब्रम्हानंद नेताम का नाम आना उनके लिए इस चुनाव में भारी पड़ गया। पूरी चुनाव प्रक्रिया निपटते तक यह मुद्दा हावी रहा। वहीं कांग्रेस भी किसी न किसी बहाने इस मुद्दे को बार बार हवा देती रही। नतीजतन यह मामला हर किसी की जुबान और जेहन में छाया रहा। चर्चा है कि यह मुद्दा भाजपा का खेल बिगाड़ने में सहायक रहा है।